गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008

भारत विश्व-चैम्पियन बनने की राह पर..

आज के दिन जब राजनीतिक,आर्थिक और सामाजिक जगत से अच्छी खबर सुनने को नहीं मिल रही,वहीं खेल जगत से विश्व चैम्पियन बनने और विश्व चैम्पियन को धूल चटाने की खबर सुनने को मिल रही हैं.जहाँ एक तरफ भारत के ग्रैंड-मास्टर विश्वनाथन आनंद ने विश्व शतरंज चैम्पियन का खिताब बरकरार रखा हैं वहीं दूसरी तरफ भारत ने क्रिकेट के विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को मोहाली टेस्ट में बुरी तरह हराने के बाद दिल्ली टेस्ट में पहली पारी में स्थानीय खिलाडी गौतम गंभीर और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक जमाने में माहिर वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण के दोहरे शतकों की मदद से ६१३ रन का विशाल स्कोर खडा कर दिया हैं, यहां से भारत की जीतने की ही संभावना बनती हैं. अगर ऑस्ट्रेलिया अच्छा खेल गया तो ज्यादा से ज्यादा ड्रॉ होगा, हारेंगे तो नहीं.
जर्मनी के बॉन में विश्वनाथन आनंद की ब्लादीमीर क्रेमनिक पर ६.५-४.५ अंकों की विजय पिछ्ले साल क्रेमनिक द्वारा की गयी इस टिप्पणी का करारा जवाब हैं जिसमें क्रेमनिक ने यह कहा था कि आनंद कागज पर भले ही विश्व चैम्पियन हो, लेकिन मेरे विचार से किसी एक मैच के जीतने से खिताब जीतना व एक टूर्नामेंट जीत खिताब जीतने में काफी फर्क होता हैं.आनंद ने इसका जवाब शतरंज के बिसात पर दिया और नाम के अनुरूप शतरंज में विश्वनाथन हो गये. निश्चय ही यह भारत के लिये एक ऐतिहासिक क्षण हैं.
इसी तरह क्रिकेट में भी विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया के बडबोलेपन का भी जवाब टूर्नामेंट जीतकर ही देना चाहिये. मोहाली टेस्ट के हारने के बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग का यह कहना कि हमें सीरिज में १-० से पिछ्डने की आदत नहीं हैं,यह उनके दंभ को दर्शाता हैं. जो कि अब और बुरी तरीके से टूटने वाला हैं.
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हो रही टेस्ट सीरिज शुरू होने से पहले भले ही सीनियर बनाम जूनियर खिलाडियों के चुनने को लेकर मीडिया की सुर्खियाँ बटोरा. सौरव का सीरिज के बाद संन्यास लेना भी खबर बनी, इससे बडी खबर सौरव का शतक बना,जिसे देखने के लिये क्रिकेट-प्रेमियों को काफी लंबा इंतजार करना पडा. लेकिन अब जब सीरिज के मध्य में जब सभी खिलाडियों ने अपना-अपना योगदान दे दिया हैं, तो सीनियर बनाम जूनियर खिलाडियों की बहस को कुछ दिनों के लिये ठंडे बस्ते में ही डाल देना ठीक होगा.
अब तो भारत को या यूँ कहे टीम इंडिया को इस सीरिज को जीतकर विश्व-चैम्पियन बनने की ओर कदम बढाना चाहिये विश्वनाथन आनंद की तरह.