सचिन २०० नॉट आउट..... दिल तो बच्चा है जी
ग्वालियर के रूपसिंह स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर ने 50 वें ओवर की तीसरी गेंद पर जब दौड़ कर एक रन लिया.. तो 39 साल से चला आ रहा क्रिकेट-प्रेमियों का एक बड़ा सपना पूरा हो गया- वन-डे क्रिकेट में किसी एक खिलाड़ी के बल्ले से 200 रन बनने का सपना। और जब यह कारनामा क्रिकेट के भगवान... और ना जाने किन-किन विशेषणों से अलंकृत...... सचिन तेंदुलकर के बल्ले से हुआ तो क्रिकेट प्रेमियों ने राहत की साँस ली। अभी हाल में ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन की पारी खेलने वाले सचिन से यह उम्मीद उनके उम्र के 37वें पड़ाव में करना इतना आसान नहीं था। पिछले साल ही जिम्बाब्वे के चार्ल्स कोवेंटरी ने जब सईद अनवर के सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर का रिकार्ड की बराबरी करते हुए अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया था... तब भी यह एक सपना ही था।
तेरह साल पहले 1997 में सईद अनवर ने भारत के खिलाफ 194 रन का रिकार्ड बनाया था। उससे पहले भी यह रिकार्ड भारत के खिलाफ तेरह साल पहले विवियन रिचर्ड ने 1984 में 189 रन बनाकर स्थापित किया था।
194 रन का रिकार्ड तो लिटिल मास्टर ने 46वें ओवर में ही तोड़ दिया था, उसके बाद सबकी नजर उन रनों पर थी जिसे इतिहास के पन्नों में दर्ज होना था। ऐसे वक्त में एक या दो रन लेकर 200 तक पहुँचना- जितना हमारे लिए सुकून पहुँचाने वाला था, उतना ही मास्टर ब्लास्टर के लिए भी। फिर तो शुरू हो गया बधाई देने का सिलसिला। मोबाइल पर संदेश आने लगे। निजी खबरिया चैनलों के लिए तो रेल बजट पर सचिन का 200 रन की बोगी भारी पड़ गयी। यह अलग बात है कि ममता दीदी ने भी सचिन को बधाई दी, लेकिन सचिन ने अखबार की सुर्खियों से लेकर टीवी चैनल की लीड स्टोरी सभी जगह ममता बनर्जी की बजट की छुट्टी कर दी।
खेल के प्रति इतना जुनून निश्चय ही आने वाली पीढ़ी के युवा खिलाड़ी के लिए पाना एक कठिन चुनौती होगी। सचिन का 20 वर्षों तक खेलना... यह भी अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। श्रीकांत, कपिल देव और रवि शास्त्री से लेकर आज के दिनों में पदार्पण करने वाले युवा खिलाड़ी भी आने वाले दिनों में अपने पोते-पोतियों को बताया करेंगे कि मैं भी सचिन के साथ खेल रखा हूँ। सचिन के समकालिक खिलाड़ियों की सूची बनायी जाएगी तो यह इतनी लंबी होगी कि जिसमें विश्व के कितने खिलाड़ी आ जायेंगे। अब जब सचिन इतने अच्छे फार्म में है तो हमारा भी मन करता है कि वो अभी और खेले.. लेकिन वो भली-भाँति जानते है कि कब उन्हें बल्ला टाँगना है और कब उनकी फिटनेस लेवल उनका साथ नहीं देने वाली है।
अब कल की ही बात लीजीए.. जब 50 ओवर पूरे खेलने के बाद जब प्रेजेंटेशन सेरेमनी में कमेंटेटर रवि शास्त्री ने पूछा कि ऐसी इनिंग अब आप और खेलना चाहेंगे। तब सचिन ने कहा था कि 50 ओवर की ऐसी पारी खेलने का मौका मिला तो जरूर खेलूँगा। अब भी सचिन का दिल खेलने के बच्चा है। और जब तक ये बच्चा यूँ ही खेलते रहेगा.... खेल-प्रेमियों के लिए तो चाँदी ही चाँदी है।
( पिछली बार ग्वालियर के रूप सिंह स्टेडियम में सचिन शतक से चूके थे तो एक ब्लॉग लिखा था। अब जाकर इसी स्टेडियम में इतिहास लिखना, उस दर्द को भूलाने जैसा है। लिंक है- http://nisshabd.blogspot.com/2007/11/blog-post_16.html)