बुधवार, 9 सितंबर 2009

समय-पाबंदी की संस्कृति का पालन भारतीय बाबुओं के द्वारा...

आप भी यह शीर्षक पढ़कर आश्चर्य कर रहे होंगे की यह कैसे संभव हैं? लेकिन यह संभव कर दिखाया है हमारे माननीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम की अगुआई वाले गृह मंत्रालय ने..इसी माह की पहली तारीख से गृह मंत्रालय के सभी बाबुओं में इस बात की होड़ लगी रहती है किस तरह ऑफिस में समय से पहुँचा जाए वो भी सुबह के नौ बजे । जी हाँ, और इस काम में वे सफल भी हो रहे हैं क्योंकि अब यह नियम आ गया हैं कि अगर आप नौ बजे के बाद जितनी देर से आते हैं, उतनी देर आपको शाम में ऑफिस बीताने के बाद ही जाना होगा । अगर आपको यकीन नहीं आता तो आप मंत्रालय की बिल्डिंग के सुरक्षा गार्ड से पूछ सकते है । अब सभी बाबू लोग नौ बजे नियमित रुप से कार्यालय में आ जा रहे हैं ।

इस शुभ काम की शुरूआत स्वयं माननीय गृह मंत्रीजी ने की, जब 1 सितंबर को चिदंबरम साहब नौ बजे कार्यालय पहुँचे और आने के साथ बायोमेटरिक मशीन पर अपनी तर्जनी के निशान के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करायी । जब मंत्री साहब ही समय का पालन कर रहे हैं, तो बाबूओं से भी यह आशा की जाती हैं कि वे समय पर आए । और वे समय पर आ भी रहे हैं ।

भारतीय परिप्रेक्ष्य में समय-पाबंदी की संस्कृति शायद ही देखने को मिलती हैं । हम तो यहाँ तक भारतीय मानक समय का मानकीकरण कर चुके हैं कि अगर एकाध घंटे देर से नहीं पहुँचे या इतनी देर कार्यक्रम शुरु होने में नहीं लगा, तो लानत हैं हमारी समयनिष्ठा पर । इस कारण कितनी बार उन लोगों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है, जो समय पर आ जाते हैं । लेकिन इस तरह आज तक हम एक गलत परंपरा को ही प्रॽय देते रहे हैं । सरकारी विभागों से अगर ऐसी खबर आती हैं, तो यह निश्चय ही सुनने में अच्छा लगता हैं ।