मंगलवार, 12 मई 2009

खलबली क्यूँ हैं मची ?

लोकसभा के अंतिम चरण के चुनाव के संपन्न होने के साथ ही शनिवार को होने वाली मतगणना पर सभी भारत वासियों की नज़रें टिकी हुयी है और इसके साथ ही छ्ठे चरण का श्री गणेश होगा और राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता, इस पर जमकर अमल होगा. ऊंट किस करवट बैठेगा कोई नहीं जानता, लेकिन प्रिंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी जगह इस बात को लेकर जमकर अटकलबाजियों का दौर शुरू है. प्रिंट वालों का कम स्पेस में ही काम चल जाता हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वालों को तो मानो बुधवार से शनिवार तक इस पर खेलने का मौका मिल जाएगा. उनका खेल तो पहले से ही जारी है, आईपीएल बनाम आईपीएल, इंडियन पॉलिटिकल लीग वगैरह वगैरह. समय का जमकर सदुपयोग किया जा रहा हैं. अपने अपने आंकडों के साथ साथ टीवी पत्रकार खुद ही सर्वे एजेन्सी का काम कर रहे हैं और चैनल का पैसा भी बचा रहे हैं. ना जाने कैसी कैसी डील चल रही हैं. कुछ ऐसी चर्चा हो जाती जिसका फायदा आम आदमी को हो जाता, लेकिन ऐसा कुछ नहीं, समय को किसी तरह पूरा करना है. जैसे हिन्दी खबरिया चैनलों के दर्शक तो बस इन्हीं फालतू चीज़ों को देखने के लिए बैठे हुए हैं. शनिवार से पहले कुछ भी भविष्यवाणी करना सही नहीं होगा, क्योंकि पहले की तरह इसा बार भी सभी भविष्य वाणी धरी की धरी रह जायेगी. अभी तो चुनाव परिणाम आने के बाद क्या क्या समीकरण उभरते हैं ये तो उन दलों को भी मालूम नहीं जो इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगे.