शनिवार, 5 अप्रैल 2008

पानी को लेकर ही होगा तीसरा महायुद्ध

किसी ने सही ही कहा हैं कि तीसरा महायुद्ध पानी को लेकर ही होगा.इससे पहले के महायुद्ध भले ही जमीन को लेकर हुये हैं,लेकिन हाल कि बनती हुयी परिस्थिति में हम देख सकते हैं कि जब अपने देश के भीतर ही पानी को लेकर दो राज्यों के बीच कानून और व्यवस्था की स्थिति इतनी बिगड जाती हैं,तब अगर यह स्थिति किन्हीं दो देशों के बीच पैदा हो तो स्थिति की भयावहता की अभी तो कल्पना मात्र ही की जा सकती हैं.

अभी हाल में ही कर्नाटक और तमिलनाडु एकबार फिर से कावेरी नदी के पानी बँटवारे को लेकर एक दूसरे के सामने खडे हैं.बात हो रही हैं होगेनक्कल परियोजना की. कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर कावेरी नदी होगेनक्कल नामक स्थान पर तमिलनाडु में प्रवेश करती हैं.वहाँ पर तमिलनाडु की सरकार ने पीने के पानी के लिये एक जल-संग्रह की परियोजना पर काम कर रही जिससे कि सूखे से प्रभावित धर्मपुरी और कृष्णागिरी जिले को पानी मुहैया कराया जा सकेगा.१९९८ पर दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन गयी थी. कर्नाटक को भी बेंगलूरू के लिये इससे पानी मिलना तय हुआ था.


लेकिन कर्नाटक में चुनाव की सरगर्मी को देखते हुये यह मुद्दा एकाएक नेताओं के हाथ लग गया जिससे कि सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकना चाहते हैं.इस सिलसिले में शिपिंग मिनिस्टर टी.आर.बालू और कर्नाटक के काँग्रेसी नेता एस.एम.कृष्णा का प्रधानमंत्री से मिलना हुआ.लेकिन आज ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि ने इस परियोजना पर कर्नाटक में चुनाव होने तक रोक लगाकर इसे राजनीतिक मुद्दा बनने से रोकने की कोशिश की हैं.

पिछले तीन चार दिनों से बेंगलूरू और चेन्नई में एक-दूसरे के राज्यों के लोगों के खिलाफ हिंसा का दौर जारी हैं जिसके कारण कर्नाटक में तमिल मीडिया और तमिलनाडु में कन्नड मीडिया चैनलों को बंद करने की भी धमकी दी गयी.कर्नाटक में एक छोटे से राजनीतिक समूह कर्नाटक रक्षा वेदिके ने राज ठाकरे की नीति पर चलते हुये इस मुद्दे पर जगह जगह प्रदर्शन किये.

हद तो तब हो गयी जब दोनों राज्यों के फिल्म कलाकारों ने इस मसले पर अपना विरोध अपने अपने राज्यों में एकजुट होकर अपने तरीके से दर्ज कराया.वैसे भी दक्षिण भारत में फिल्मी कलाकारों को भगवान से कम नहीं माना जाता हैं.इसी में जब दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत ने अपने जन्मभूमि के बदले कर्मभूमि के समर्थन में आवाज उठायी तो मुंबई में शिवसेना ने अमिताभ को रजनीकांत के सामने बौना साबित कर दिया.

फिलहाल इस मुद्दे पर कर्नाटक चुनाव तक शांति बनी रहेगी,लेकिन जल विवाद का यह मामला इतनी आसानी से दम तोडने वाला नहीं.भले ही ग्लोबल वार्मिंग के कारण विश्व के समुद्र तटों के कारण बसने वाले शहर जलमग्न होने जा रहे हैं,लेकिन इसी जल के कारण विश्वयुद्ध होने जा रहा हैं- ऐसी स्थिति बनी तो निश्च्य ही यह एक भयावह स्थिति होगी.

गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

भारत ने अहमदाबाद में खेला ट्वेंटी-२०

९६३३०१४२१०१०० जी हाँ, देखने में तो ये कहीं का मोबाइल नंबर लगता हैं,लेकिन ऐसा नही हैं. १३ अंकों की यह संख्या बयान कर रही हैं भारतीय टीम के धुरंधर बल्लेबाजों की क्रम से बनायी गयी रन संख्या को. जिसमें बीच के १४ और २१ क्रमशः धोनी और पठान ने बनाये हैं, बाकी बल्लेबाज दहाई का भी आँकडा पार करने में सफल नही हुये.भारत ने भी पूरे बीस ओवर खेल कर ७६ रन बनाकर दिखा दिया कि अब भी हम ट्वेंटी-२० के ही मोड में हैं.चाहे विपक्षी टीम टेस्ट खेलने के मूड में क्यों न हो.

चेन्नै टेस्ट में विकेट इतनी सपाट थी कि दोनों टीम के खिलाडियों ने जमकर रनों का अंबार लगाया. गेंदबाजों ने जमकर पिच को कोसा.अब मोटेरा में ऐसी विकेट बन गयी कि भारतीय खिलाडियों को यहाँ सीम करती हुयी गेंद ही नजर ही नहीं आयी. टॉस जीतकर बल्लेबाजी लेना एक सही निर्णय हो सकता था लेकिन बल्लेबाजों ने पहले ही दिन मैच गंवा दिया. लंच से पहले ही टीम के सभी बल्लेबाजों ने पिछले मैच के सैकडों की याद को भूलाते हुये टीम का भी सैंकडा नही बनने दिया.


हमारे गेंदबाज अब उसी विकेट पर निस्तेज साबित हो रहे हैं.पहली पारी के आधार पर दक्षिण अफ्रीका एक बडी बढत की ओर अग्रसर हो रही हैं. अब इस टेस्ट में तो भारत के हाथ जीत लगने से रही.इसका एक कारण साफ हैं इस टेस्ट से पहले भारत की टीम जहाँ एड कैम्पेन में लगी रही वही अफ्रीकी टीम ने जमकर पसीना बहाया.इसकी साफ झलक इस टेस्ट मैच के दौरान देखने को मिल रही हैं.

एक प्रदर्शन पर फूल कर कुप्प्पा हो जाने की आदत टीम इंडिया की अभी तक गयी नहीं हैं. इसका खामियाजा दूसरे मैच में देखने को हमेशा मिलता हैं.ऐसी आदत से टीम इंडिया को बचना चाहिये.