शनिवार, 28 नवंबर 2009

कैट की परीक्षा को पहले ही दिन देना पड़ा टेस्ट

देश में पहली बार कंप्यूटर ऑनलाइन संयुक्त प्रवेश परीक्षा यानी कैट शुरू तो हुयी, लेकिन सर्वर में ओवरलोडिंग के कारण पहले दिन की पहले सत्र की परीक्षा में बाधा देखने को मिली. पहली बात तो जब हमारे यहाँ किसी परीक्षा का परिणाम देखने की बात हो या परीक्षा सम्बन्धी ऑनलाइन फॉर्म भरने की बात होती है, तब भी छात्रों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यहाँ तो पूरी एक परीक्षा देने की बात है.

भारतीय प्रबंधन संस्थानों में प्रवेश के लिए इस परीक्षा में दो लाख चालीस हज़ार छात्र भाग ले रहे है. यह परीक्षा अमेरिका की एक कंपनी करा रही है. प्रोमीट्रीक नाम की कंपनी दस दिनों तक इस परीक्षा को कराएगी. पहले दिन ही जब यह आलम है, तो आगे क्या होता है, इसे देखते जाईयें. निश्चय ही ऑनलाइन परीक्षा कराकर हम एक कदम आगे हो रहे हैं, लेकिन उन छात्रों का क्या जो की कंप्यूटर से या तो परिचित नहीं हुए है या नए नए हैं इसे सीखने वाले. उनके लिए तो छोडिये, उन छात्रों को भी परीक्षा देने में समस्या आ रही थी, जो दिन भर कंप्यूटर पर डंटे रहते है. इसके लिए कम से कम एक माक टेस्ट होना चाहिए था.

पहले दिन पहले सत्र में जिन छात्रों ने परीक्षा दी हैं और उनके केंद्र पर सर्वर में किसी तरह की गड़बड़ी आयी है, तो अब इस बात पर यह निर्भर करता है कि उनके दिए गए जवाब रिकावर हो पाते है की नहीं. साथ ही साथ पहली बार हो रहे ऐसे टेस्ट को भी कई टेस्ट से गुजरना होगा.

शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

बर्लिन की दीवार के ढहने और सचिन के क्रिकेट का टावरिंग फिगर बनने के बीस साल....

9 नवंबर 1989 को पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के बीच की दीवार ढ़ह गई थी और इसके छह दिन के बाद 15 नवंबर 1989 को वहां से मीलों दूर पाकिस्तान के कराची में भारत की तरफ से सचिन तेंदुलकर नाम के 16 वर्षीय खिलाड़ी ने क्रिकेट जगत में पदार्पण किया। दोनों घटनाओं को बीस साल होने जा रहे है। दो दशकों से जहां एक तरफ सचिन ने क्रिकेट के टावरिंग फिगर बनने में और अपने खेल से सारे देश को जोड़ने का काम किया, उसी तरह बीस साल पहले दोनों जर्मनी के बीच 28 साल पुरानी दीवार के टूटने के बाद उन दोनों देशों को जोड़ने का काम किया।

शीत युद्ध के प्रतीक के रूप में खड़ी जर्मनी की दीवार का ढ़हना उस वक्त की निश्चय ही सबसे बड़ी ऐतिहासिक घटना थी। लेकिन सचिन का टेस्ट में 16 साल में डेब्यू करना यानि सबसे कम उम्र का टेस्ट खिलाड़ी होना ही उस वक्त की खासियत थी। अब क्या पता कि बीस साल बाद जब हम उस वक्त की दोनों घटनाओं को एक साथ देखते हैं तो पाते है कि सचिन अब उस दीवार की माफिक हो गये है, जिससे बड़ी दीवार क्रिकेट जगत में खड़ा करना अभी निकट भविष्य में खड़ी होना संभव तो नहीं दिखता है। बर्लिन में बीस साल बाद एकीकृत होने की खुशी एमटीवी यूरोप म्यूजिक एॅवार्ड के रूप में मनायी जाएगी, जिसमें पॉप स्टार बेयोंस और हिप हॉप कलाकार जेज अपनी-अपनी प्रस्तुति देंगे।

बीस साल के लंबे कैरियर में सचिन ने कल ही हैदराबाद में 175 रन की यादगार पारी खेली, अपना 45 वां शतक जमाया, एकदिवसीय मैचों में 17 हजार रन पूरे किए और जब खेल के बाद उनसे पूछा गया कि क्या है जो उन्हें अब तक खेलने को प्रेरित करता है, तो जवाब था खेल के प्रति पैशन। इसी पैशन के साथ जब पूर्वी जर्मनी में 4 नवंबर को दीवार का विरोध करने वालों ने मार्च किया, तो 9 नवंबर को दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के लिए खोल दी गयी, तब से लेकर आजतक एकीकृत जर्मनी की प्रगति को आप विश्व-पटल पर आसानी से देख सकते हैं।

सचिन के क्रिकेट-कैरियर में कितने ही 'फर्स्ट' और 'मोस्ट' शामिल है, जब वे अपना बल्ला टांगेंगे तब तक ना जाने ऐसे कितने ही 'फर्स्ट' और 'मोस्ट' इनके रिकॉर्ड शामिल हो जायेंगे। उसी प्रकार ही आधुनिक विश्व इतिहास (दूसरे विश्व युद्ध के बाद) में जहां देशों का विघटन होना आम बात है, वैसी स्थिति में किसी दो देशों का एकीकृत होना हमारे सामने तो 'फर्स्ट' घटना है और साथ ही साथ 'मोस्ट' यादगार घटना भी है।

सचिन यूँ ही अपना कद बढ़ाते रहे और जर्मनी का एकीकरण भी बाकी देशों के लिए आने वाले समय में मिसाल बने... ज्यादा से ज्यादा ये कामना तो हम कर ही सकते है।