गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

भारत ने अहमदाबाद में खेला ट्वेंटी-२०

९६३३०१४२१०१०० जी हाँ, देखने में तो ये कहीं का मोबाइल नंबर लगता हैं,लेकिन ऐसा नही हैं. १३ अंकों की यह संख्या बयान कर रही हैं भारतीय टीम के धुरंधर बल्लेबाजों की क्रम से बनायी गयी रन संख्या को. जिसमें बीच के १४ और २१ क्रमशः धोनी और पठान ने बनाये हैं, बाकी बल्लेबाज दहाई का भी आँकडा पार करने में सफल नही हुये.भारत ने भी पूरे बीस ओवर खेल कर ७६ रन बनाकर दिखा दिया कि अब भी हम ट्वेंटी-२० के ही मोड में हैं.चाहे विपक्षी टीम टेस्ट खेलने के मूड में क्यों न हो.

चेन्नै टेस्ट में विकेट इतनी सपाट थी कि दोनों टीम के खिलाडियों ने जमकर रनों का अंबार लगाया. गेंदबाजों ने जमकर पिच को कोसा.अब मोटेरा में ऐसी विकेट बन गयी कि भारतीय खिलाडियों को यहाँ सीम करती हुयी गेंद ही नजर ही नहीं आयी. टॉस जीतकर बल्लेबाजी लेना एक सही निर्णय हो सकता था लेकिन बल्लेबाजों ने पहले ही दिन मैच गंवा दिया. लंच से पहले ही टीम के सभी बल्लेबाजों ने पिछले मैच के सैकडों की याद को भूलाते हुये टीम का भी सैंकडा नही बनने दिया.


हमारे गेंदबाज अब उसी विकेट पर निस्तेज साबित हो रहे हैं.पहली पारी के आधार पर दक्षिण अफ्रीका एक बडी बढत की ओर अग्रसर हो रही हैं. अब इस टेस्ट में तो भारत के हाथ जीत लगने से रही.इसका एक कारण साफ हैं इस टेस्ट से पहले भारत की टीम जहाँ एड कैम्पेन में लगी रही वही अफ्रीकी टीम ने जमकर पसीना बहाया.इसकी साफ झलक इस टेस्ट मैच के दौरान देखने को मिल रही हैं.

एक प्रदर्शन पर फूल कर कुप्प्पा हो जाने की आदत टीम इंडिया की अभी तक गयी नहीं हैं. इसका खामियाजा दूसरे मैच में देखने को हमेशा मिलता हैं.ऐसी आदत से टीम इंडिया को बचना चाहिये.

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