रविवार, 12 जुलाई 2009

लाइफ अंडर मेट्रो

रविवार की एक और सुबह. फिर वही हादसा. दिल्ली के दक्षिणी इलाके में एक बार फिर निर्माणाधीन मेट्रो पुल का हिस्सा टूट कर गिर गया, सुबह के पांच बजे घटी ये घटना सभी खबरिया चैनलों पर छः बजे से चलने लगी. लेडी श्री राम कॉलेज के पास घटी ये घटना लक्ष्मी नगर में घटी घटना की ही पुनरावृत्ति थी. लेकिन ये घटना बड़े पैमाने पर घटी हैं. रविवार, १९ अक्टूबर २००८ और आज रविवार १२ जुलाई २००९ - अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ कि वही लापरवाही सामने आई. शुक्र मनाइए कि दोनों घटना अहले सुबह घटी और दोनों बार रविवार का दिन था, इसलिए कम जान माल की क्षति हुयी. इस घटना को देखने से प्रथम दृष्टया तो यही लगा कि पिछली बार घटी घटना से कोई सीख नहीं ली गयी, उसी तरह नीचे कोई बेरिकेड्स देखने को नहीं मिले, कम समय में इतने बड़े निर्माण कार्य को अंजाम देने में ऐसी दुर्घटना होना आम बात मानी जाती होगी, लेकिन उन मजदूरों या राहगीरों का क्या जो इनके अन्दर आने से मारे जाते है. ऐसा भी नहीं है कि एक साल के भीतर ये ही दो घटनाएं हुयी है, छोटी बड़ी ना जाने कितने घटनाएं होती रही है, कितनी बार तो उन्हें दबा दिया जाता है, कितनी बार मीडिया में ना आने के कारण लोग जान नहीं पाते है. दोषारोपण का काम शुरू हो जाएगा, कुछ दिनों की जांच के लिए जिस रूट पर काम चल रहा था उसे रोक दिया जायेगा फिर जिम्मेदारी तय कर काम फिर से शुरू हो जायेगा. सीखने का कोई काम नहीं किया जायेगा. उन लाइफ का कुछ नहीं जो मेट्रो के अन्दर काम कर रही होती हैं, अगर बचना हुआ तो बच जाते है नहीं तो उन लाइफ का कुछ नहीं होना है. यही कहानी है लाइफ अंडर मेट्रो की.......जो बार बार दुहराती जाती जायेगी, लेकिन होना कुछ नहीं है.

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