बुधवार, 15 जुलाई 2009

क्या आप में सच का सामना करने की हिम्मत हैं?

जी हाँ, अगर आप में हिम्मत हैं तो स्टार प्लस पर आज से शुरू हुए सीरियल 'सच का सामना' में भाग लेकर देखिये. मुख्य रूप से अमेरिकी टेलिविज़न शो ' मोमेंट ऑफ़ ट्रुथ' से इसका फॉर्मेट लिया गया है, वो भीकोलोम्बिया के एक टीवी शो से प्रभावित हैं. भले ही वैश्विक स्तर पर इसने सफलता हासिल की हो लेकिन इस सीरियल को अलग-अलग देशों में प्रतिबन्ध का सामना भी करना पड़ा. कोलोम्बिया, ग्रीस और जहाँ तक संभव हैं कुछ दिनों में आप भारत में भी इस पर प्रतिबन्ध लगा हुआ देख सकते हैं. पहले ही एपिसोड की प्रतिभागी स्मिता मथाई को जिन सवालों का सामना करना पडा शायद ही उन्होंने अपनी जिन्दगी में कभी सोचा होगा कि सार्वजनिक रूप से वो भी पूरे देश में देखा जाने वाला चैनल स्टार प्लस पर ऐसी ऐसी बातों को प्रकट करना पडेगा.
कुछ पैसों के खातिर अपने रिश्तों को ताख पर रखकर चैनल का मकसद अगर टी आर पी हासिल करना हैं तो यह गलत हैं. भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह सीरियल चल निकले, ऐसा कतई संभव नहीं हैं. सवालों के जरिये इमोशन से खेलना तो समझ में आता है, लेकिन सवालों का स्तर सेक्स और इससे सम्बंधित और मुद्दों पर चले जाए, ये बात फॅमिली के साथ बैठकर प्रतिभागी तो झेल सकता हैं, लेकिन घर पर बैठकर फॅमिली मेंबर नहीं झेल सकते हैं.
सच एक हद तक ही सामने आये तो वही ही अच्छा होता हैं, क्योंकि हमारे शास्त्रों में भी कहा गया हैं - सत्यम ब्रूयात प्रियं ब्रूयात , ना ब्रूयात सत्याम्प्रियम

2 टिप्‍पणियां:

अरविन्द श्रीवास्तव ने कहा…

रोचक जानकारी हेतु आभार...

कुन्नू सिंह ने कहा…

बढिया हूवा बैन कर दिया |

एसे सिरीयल बनाने वाले और चैनल वाले का चैनल भी बैन करना चाहीए

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