शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

बर्लिन की दीवार के ढहने और सचिन के क्रिकेट का टावरिंग फिगर बनने के बीस साल....

9 नवंबर 1989 को पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के बीच की दीवार ढ़ह गई थी और इसके छह दिन के बाद 15 नवंबर 1989 को वहां से मीलों दूर पाकिस्तान के कराची में भारत की तरफ से सचिन तेंदुलकर नाम के 16 वर्षीय खिलाड़ी ने क्रिकेट जगत में पदार्पण किया। दोनों घटनाओं को बीस साल होने जा रहे है। दो दशकों से जहां एक तरफ सचिन ने क्रिकेट के टावरिंग फिगर बनने में और अपने खेल से सारे देश को जोड़ने का काम किया, उसी तरह बीस साल पहले दोनों जर्मनी के बीच 28 साल पुरानी दीवार के टूटने के बाद उन दोनों देशों को जोड़ने का काम किया।

शीत युद्ध के प्रतीक के रूप में खड़ी जर्मनी की दीवार का ढ़हना उस वक्त की निश्चय ही सबसे बड़ी ऐतिहासिक घटना थी। लेकिन सचिन का टेस्ट में 16 साल में डेब्यू करना यानि सबसे कम उम्र का टेस्ट खिलाड़ी होना ही उस वक्त की खासियत थी। अब क्या पता कि बीस साल बाद जब हम उस वक्त की दोनों घटनाओं को एक साथ देखते हैं तो पाते है कि सचिन अब उस दीवार की माफिक हो गये है, जिससे बड़ी दीवार क्रिकेट जगत में खड़ा करना अभी निकट भविष्य में खड़ी होना संभव तो नहीं दिखता है। बर्लिन में बीस साल बाद एकीकृत होने की खुशी एमटीवी यूरोप म्यूजिक एॅवार्ड के रूप में मनायी जाएगी, जिसमें पॉप स्टार बेयोंस और हिप हॉप कलाकार जेज अपनी-अपनी प्रस्तुति देंगे।

बीस साल के लंबे कैरियर में सचिन ने कल ही हैदराबाद में 175 रन की यादगार पारी खेली, अपना 45 वां शतक जमाया, एकदिवसीय मैचों में 17 हजार रन पूरे किए और जब खेल के बाद उनसे पूछा गया कि क्या है जो उन्हें अब तक खेलने को प्रेरित करता है, तो जवाब था खेल के प्रति पैशन। इसी पैशन के साथ जब पूर्वी जर्मनी में 4 नवंबर को दीवार का विरोध करने वालों ने मार्च किया, तो 9 नवंबर को दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के लिए खोल दी गयी, तब से लेकर आजतक एकीकृत जर्मनी की प्रगति को आप विश्व-पटल पर आसानी से देख सकते हैं।

सचिन के क्रिकेट-कैरियर में कितने ही 'फर्स्ट' और 'मोस्ट' शामिल है, जब वे अपना बल्ला टांगेंगे तब तक ना जाने ऐसे कितने ही 'फर्स्ट' और 'मोस्ट' इनके रिकॉर्ड शामिल हो जायेंगे। उसी प्रकार ही आधुनिक विश्व इतिहास (दूसरे विश्व युद्ध के बाद) में जहां देशों का विघटन होना आम बात है, वैसी स्थिति में किसी दो देशों का एकीकृत होना हमारे सामने तो 'फर्स्ट' घटना है और साथ ही साथ 'मोस्ट' यादगार घटना भी है।

सचिन यूँ ही अपना कद बढ़ाते रहे और जर्मनी का एकीकरण भी बाकी देशों के लिए आने वाले समय में मिसाल बने... ज्यादा से ज्यादा ये कामना तो हम कर ही सकते है।

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