थप्पड मामले में हरभजन सिंह को मिली सजा उनके लिये सबक हैं.सबसे पहले तो आई.पी.एल.लीग के दस मैचों में नहीं खेलने का प्रतिबंध लगा, इससे जो आर्थिक नुकसान हुआ, उसके बारे में यह कहा गया कि उनके द्वारा श्रीसंथ को मारा गया तमाचा तीन करोड रुपये का नुकसान दे गया,बदनामी हुयी सो अलग. अब बी.सी.सी.आई. ने पाँच एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच ना खेलने की पाबंदी लगायी.साथ ही साथ यह भी चेतावनी दी गयी अगर भविष्य में अगर इस तरह का कोई मामला आया तो आजीवन प्रतिबध लगा दिया जायेगा.
ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद हरभजन सिंह को भारतीय मीडिया ने हाथोंहाथ लिया और इसी दौरान एक चैनल पर इंटरव्यू के दौरान फिर ऑस्ट्रेलियाई खिलाडियों पर भडास निकाली,तब क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया द्वारा बी.सी.सी.आई. को इस बारे में कदम उठाने के लिये कहा ,तो एक बार फिर से हरभजन को मीडिया में कुछ ना बोलने की सलाह देकर छोड दिया गया.लेकिन इस बार मामला किसी दो देशों के बीच ना होकर बी.सी.सी. आई. के सबसे बडे खेल तमाशे आई.पी.एल. लीग के दौरान सामने आया,इसलिये सर्वेसर्वा के रूप में बोर्ड को ही फैसला लेना था.क्या होता जब यह थप्पड भारतीय खिलाडी के बजाए किसी विदेशी खिलाडी को लगा होता? ऐसे में बोर्ड का क्या रूख रहता देखने वाला होता. वैसे शेन वार्न का गांगुली के खिलाफ बोलना ज्यादा बडा मसला नहीं बना.
नस्लवाद के नायक के रूप में उभरे हरभजन पर आनन-फानन में भारतीय डाक विभाग ने डाक टिकट भी जारी करने की घोषणा कर दी. क्या इतना आसान हैं भारतीय डाक टिकट पर आ जाना. डाक टिकट किसी देश की सभ्यता संस्कृति का परिचायक होती हैं.इन पर छपने वाले व्यक्तित्व अपने क्षेत्र में बडी सफलता हासिल किय होते हैं. ये उस देश के प्रतिनिधि के रूप में देखे जाते हैं. इतनी जल्दी ही हरभजन नायक से खलनायक हो जायेंगे,किसी ने सोचा भी नही था.लेकिन डाक विभाग मीडिया द्वारा बनाये गये नये ऑयकनों के पीछे भागने के बजाए अपने सोच समझ से निर्णय ले तो ज्यादा अच्छा होगा.
इसी तरह अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने भी आनन फानन में पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी गौतम गोस्वामी को एशियन हीरो घोषित तो किया था, लेकिन जैसे ही बाढ राहत घोटाले में नाम आया,तो उसके संवाददाता को अपने इस निर्णय पर जवाब देते नहीं सूझ रहा था. आपका नायक जब खलनायक निकल जाता हैं तो सबसे ज्यादा दुख आप ही को होता हैं. इसलिये कोई भी निर्णय लेने से पहले उस पर सोचा जाता हैं.खली की भी भारत लौटने के बाद हरभजन से मिलने की बडी इच्छा थी,लेकिन "स्लैपगेट" के बाद खली को भी हरभजन से मिलना सही नही लगा.
अब हरभजन का यह बयान आना कि उसके जिंदगी के दो मनहूस दिनों में एक थप्पड वाला दिन था,तो अब यह बात समझ में आ रही हैं कि कितनी बडी गलती हो गयी. इतनी भी समझ आने के बाद भविष्य में अपने कंडक्ट को सही रखे तो ज्यादा अच्छा होगा.
ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद हरभजन सिंह को भारतीय मीडिया ने हाथोंहाथ लिया और इसी दौरान एक चैनल पर इंटरव्यू के दौरान फिर ऑस्ट्रेलियाई खिलाडियों पर भडास निकाली,तब क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया द्वारा बी.सी.सी.आई. को इस बारे में कदम उठाने के लिये कहा ,तो एक बार फिर से हरभजन को मीडिया में कुछ ना बोलने की सलाह देकर छोड दिया गया.लेकिन इस बार मामला किसी दो देशों के बीच ना होकर बी.सी.सी. आई. के सबसे बडे खेल तमाशे आई.पी.एल. लीग के दौरान सामने आया,इसलिये सर्वेसर्वा के रूप में बोर्ड को ही फैसला लेना था.क्या होता जब यह थप्पड भारतीय खिलाडी के बजाए किसी विदेशी खिलाडी को लगा होता? ऐसे में बोर्ड का क्या रूख रहता देखने वाला होता. वैसे शेन वार्न का गांगुली के खिलाफ बोलना ज्यादा बडा मसला नहीं बना.
नस्लवाद के नायक के रूप में उभरे हरभजन पर आनन-फानन में भारतीय डाक विभाग ने डाक टिकट भी जारी करने की घोषणा कर दी. क्या इतना आसान हैं भारतीय डाक टिकट पर आ जाना. डाक टिकट किसी देश की सभ्यता संस्कृति का परिचायक होती हैं.इन पर छपने वाले व्यक्तित्व अपने क्षेत्र में बडी सफलता हासिल किय होते हैं. ये उस देश के प्रतिनिधि के रूप में देखे जाते हैं. इतनी जल्दी ही हरभजन नायक से खलनायक हो जायेंगे,किसी ने सोचा भी नही था.लेकिन डाक विभाग मीडिया द्वारा बनाये गये नये ऑयकनों के पीछे भागने के बजाए अपने सोच समझ से निर्णय ले तो ज्यादा अच्छा होगा.
इसी तरह अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने भी आनन फानन में पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी गौतम गोस्वामी को एशियन हीरो घोषित तो किया था, लेकिन जैसे ही बाढ राहत घोटाले में नाम आया,तो उसके संवाददाता को अपने इस निर्णय पर जवाब देते नहीं सूझ रहा था. आपका नायक जब खलनायक निकल जाता हैं तो सबसे ज्यादा दुख आप ही को होता हैं. इसलिये कोई भी निर्णय लेने से पहले उस पर सोचा जाता हैं.खली की भी भारत लौटने के बाद हरभजन से मिलने की बडी इच्छा थी,लेकिन "स्लैपगेट" के बाद खली को भी हरभजन से मिलना सही नही लगा.
अब हरभजन का यह बयान आना कि उसके जिंदगी के दो मनहूस दिनों में एक थप्पड वाला दिन था,तो अब यह बात समझ में आ रही हैं कि कितनी बडी गलती हो गयी. इतनी भी समझ आने के बाद भविष्य में अपने कंडक्ट को सही रखे तो ज्यादा अच्छा होगा.
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