बुधवार, 12 दिसंबर 2007

क्या ऐसे ही टीम जीतेगी डॉउनअंडर में

भारत ने पाकिस्तान से टेस्ट श्रृंखला भले ही १-० से जीती हो,लेकिन इसका परिणाम कम से कम २-० तो होना ही चाहिये.बेंगलुरू टेस्ट हम जीतने के करीब थे,लेकिन खराब रौशनी के कारण हम यह मैच नही जीत सके.पाकिस्तान की कमजोर ऑकी जाने वाली टीम श्रृंखला में दो मैंचों को बल्लेबाजी के कारण ड्रॉ करवाने में सफल रही. पूरी श्रृंखला में बल्लेबाज छाए रहे.शतकों की झडी लगी रही.बडे बडे शतक लगे. गेंदबाजी दोनों टीम के तरफ से दोयम दर्जे की रही.
भारत के प्रदर्शन की बात करे,तो कुछ खास प्रदर्शन नही रहा.आगामी टेस्ट श्रृंखला में भारतीय टीम को ना तो इस तरीके की बॉलिंग अटैक का सामना करना पडेगा,ना ही ऐसी पिच मिलेगी.अगर इसी तरह का एप्रोच रहा तो टीम को डॉउनअंडर में काफी मुश्किलों का सामना करना पडेगा.बल्लेबाजी तो कमोबेश ठिक हैं,लेकिन बॉलिंग अटैक की बात करे तो कही से भी गेंदबाजी में धार नही दिखायी देती हैं.वैसे भी सभी तेज गेंदबाज अभी फिट नही हैं,साथ ही ब्रांड नयी अटैक पर विश्वास नहीं किया जा सकता हैं.
श्रृंखला से यह बात सामने निकल कर आयी कि भले ही पुराने शेर २०-२० मैच नही खेल रहे हो लेकिन टेस्ट मैचों में उनका स्थान लेना इतना आसान काम नही हैं.सौरभ,लक्ष्मण के साथ साथ जाफर और युवराज ने जहाँ बल्ले से कमाल दिखाया, वही इशांत ने अपने पहले ही मैच में ५ विकेट लेकर अपने चयन को सही बताया.इरफान ने बल्ले से कमाल तो दिखाया लेकिन पिछले ऑस्ट्रेलियाई दौरे की तरह गेंदबाजी में जौहर दिखाने से चूक गये.कार्तिक ने कीपिंग से जहाँ सभी को निराश किया वही बल्ले से भी कुछ नही कर दिखाया. इसलिए भारत के सामने ओपनिंग बल्लेबाज की समस्या बनी हुयी हैं.गौतम गंभीर को मौका मिलने की पूरी उम्मीद हैं क्योंकि एक तो वो खब्बू बल्लेबाज हैं और दूसरे स्पेशलिस्ट ओप्निंग बल्लेबाज हैं.
पाकिस्तान के खिलाफ १-० से मिली जीत भारतीय टीम का मनोबल बढाने के लिये नाकाफी हैं.जब अपनी ही धरती पर इतना खराब परिणाम सामने आया तो बॉक्सिंग डे से शुरू होने वाली टेस्ट श्रृंखला के लिये भारत को अभी से ही कमर कस लेनी चाहिए. ऑस्ट्रेलिया टीम जहाँ अपने द्वारा सर्वाधिक टेस्ट जीतने का नया रिक़ॉर्ड कायम करना चाहेगी वही भारतीय टीम पिछली बार की तरह अगर श्रृंखला बराबर भी करवा लेती हैंतो यह भारत के लिये जीत होगी.

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