शनिवार, 22 दिसंबर 2007

फिर खिला कमल

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ एक बार पुनः सत्ता पर काबिज हुई.इसे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत माना जा रहा हैं,जो सही भी हैं.तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक बार पुनः जीत हासिल करना अपने आप में एक बडी बात हैं.भारतीय प्रजातंत्र में पहली बार विकास के मुद्दे पर कोई सरकार जीतकर पुनः सत्ता में आयी है,वैसे भी भाजपा का वापस सत्ता में आने का रिकॉर्ड ना के बराबर हैं.इस चुनाव के परिणामों का भारतीय राजनीति और भाजपा के अंदरूनी राजनीति पर भी दूरगामी प्रभाव पडेगा.इस जीत के साथ भाजपा जहाँ केंद्र की राजनीति में अपने हमले तेज करेगी वहीं अगले साल जो भाजपा शासित राज्य विधान सभा चुनाव में जाने वाले हैं,वहाँ पर भाजपा बागियों की अब दाल नहीं गलने वाली हैं.गुजरात में निश्चय ही मोदी का कद और बढा हैं.विकास के मुद्दे के साथ साथ चुनाव प्रचार के दौरान कॉग्रेस ने ही भाजपा को बैठे बैठे हिन्दुत्व का मुद्दा दे दिया था.इस चुनाव से एक बात और सामने आयी मीडिया जितना मोदी के खिलाफ बोला,मोदी को उतना ही फायदा हुआ."वाइब्रेटिंग गुजरात" का स्लोगन इस बार इंडिया शाइनिंग की तरह फ्लॉप साबित नहीं हुआ,क्योंकि यह इस बार इंडिया शाइनिंग की तरह मुख्य मुद्दा नहीं रहा.जहाँ तक नरेंद्र मोदी की बात हैं, इस बार एक क्षेत्रीय क्षत्रप के रूप में उनका उदय हुआ हैं.केंद्र की राजनीति से वे दूर ही रहेंगे.भाजपा के लिये यह जीत काफी अहम साबित होगी.आगामी लोकसभा चुनाव में केंद्र की कमजोर सरकार के विकल्प के रूप में भाजपा अपने आप को रखेगी.

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