मंगलवार, 4 दिसंबर 2007

बीजेपी बनाम बीजेपी : भारतीय जनता पार्टी बनाम बागी जनता पार्टी

गुजरात में ३ दिसम्बर को सभी अखबारों में केशूभाई पटेल की तस्वीर लगे एक विज्ञापन ने राज्य में बदलाव लाने की अपील की हैं.इस विज्ञापन को छपवाने से केशूभाई ने भले ही इंकार किया हो लेकिन इसमें छपी बातों से इंकार नहीं किया हैं. गुजरात में बागी भाजपाई किस तरह आगामी चुनाव पर असर डालना चाहते हैं,यह इसका जीता-जागता उदाहरण हैं.
गुजरात में इससे पहले होने वाले चुनावों में कॉग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला होता था ,लेकिन इसबार बागी भाजपा नेताओं ने एक तीसरा कोण इस चुनाव में ला दिया हैं.ये बागी भी बँटे हुये हैं-कोई कॉग्रेस का समर्थन कर रहा हैं,कोई उमा भारती की पार्टी भारतीय जनशक्ति के समर्थन में हैं और कुछ तो ऐसे है जो भाजपा की ही सरकार चाहते है,लेकिन नेतृत्व परिवर्त्तन के साथ.यानि कि इनकी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हैं.लेकिन इससे भाजपा को नुकसान होना तय हैं.नुकसान कितना होगा,यह कहना मुश्किल हैं,ऐसा भी हो सकता हैं कि भाजपा की सरकार जा भी सकती हैं.
चुनाव पूर्व करवाए गये सर्वेक्षणों में नरेंद्र मोदी को सर्वाधिक लोकप्रिय नेता और भाजपा के वोटों में कुछ गिरावट के साथ पुनः सत्ता में लौटने की बात कही गयी है.चुनाव जितना नजदीक आते जा रहा हैं,उतने ही बागी सक्रिय होते जा रहे हैं.केशूभाई पटेल ने अखबारों में छपी बातों का एक तरह से समर्थन ही किया है.इस तरह पटेलों का वोट जो की गुजरात की राजनीति में अहम माना जाता हैं,राज्य में किसी की सरकार लाने व गिराने दोनों में सक्षम हैं.चुनाव आते आते बागियों के वार और तेज हो जायेंगे,ऐसी स्थिति में मोदी इन वारों को झेल पुनः सत्ता में आ जाते है तो और भी प्रखर नेता के रूप में भाजपा में अपना स्थान बनायेंगे,अगर सत्ता मे नहीं आ पाते हैं तो हाशिए पर खडे हो जायेंगे,जहाँ से वापसी करना काफी मुश्किल होगा.
यह चुनाव पहले से ही भाजपा बनाम भाजपा के तौर पर लडा जा रहा हैं.यहाँ विपक्ष के रूप में कॉग्रेस इतनी कमजोर हैं कि वह बागियों के बल पर सत्ता में आना चाह रही हैं.ऐसा हो भी सकता हैं क्योंकि इस चुनाव में नुकसान उठाने वाली पार्टी भाजपा ही होगी,अगर कॉग्रेस इस मौके को सही तरीके से भुना सके.वैसे अभी भी इस चुनाव को भाजपा बनाम भाजपा के तौर पर ही देखा जा रहा हैं.छोटी पार्टियाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हो जायेंगी,लेकिन तीसरी शक्ति के रूप में उभरेंगी इसकी कम ही संभावना हैं.मोदी का विकास इस चुनाव में उसे सफलता दिलवाता हैं या उसका तानाशाही रवैया उसे राजनीति के हाशिए पर ला खडा करता हैं- यह तो आने वाला समय ही बतायेगा.

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