शुक्रवार, 21 मार्च 2008

भारत के चीफ मिनिस्टर कौन हैं?

आजकल समाचार चैनलों में डी.डी. न्यूज का समाचार आप ना देखो तो एक केंद्रीय मंत्री के हिसाब से आप गद्दार हैं.अगर देखो तो नित नये नये सामान्य ज्ञान से परिचय होता है."भारत के चीफ मिनिस्टर के.जी. बालाकृष्णन" ऐसा कहते हुये एक न्यूज स्टोरी की शुरूआत अंग्रेजी के एक न्यूज बुलेटिन में किया जाता हैं.वैसे भी डी.डी. न्यूज के न्यूजरूम में यह एक आम धारणा प्रचलित हैं कि हमारा समाचार चैनल देखता ही कौन हैं.इसलिये जो चलता है चला दो.

यह न्यूज स्टोरी १५ मार्च को सुबह साढे आठ बजे वाले बुलेटिन में( समाचार वाचिका थी कोई)चलायी गयी.ऐसे में यह समाचार चैनल अपनी विश्वसनीयता ऐसे ही खोता जा रहा हैं और न्यूजरूम की मानसिकता भी इसमें अहम भूमिका निभा रहा हैं.

इससे ठीक एक दिन पहले डी.डी. के नेशनल चैनल पर डेढ घंटे का एक कार्यक्रम चलाया गया था जिसमें टी.आर.पी. को लेकर मीडिया जगत के दिग्गजों को बुलाकर एक 'हेल्दी' डिस्कशन करवाया गया. जिसमें डी.डी. के ४० प्रतिशत प्रसार की बात ग्रामीण क्षेत्रों में हैं,ऐसा बताकर डी.डी. के टी.आर.पी. के चक्कर में ना पडने की बात उनके प्रतिनिधि ने बतायी थी. तो क्या जिन जगहों पर सिर्फ दूरदर्शन ही समाचार या मनोरंजन का साधन है वहाँ भी इसी तरह की 'चलता है' वाली मानसिकता वाले समाचार के भरोसे रहना होगा.

वैसे जो चल रहा हैं निजी समाचार चैनलों पर वह तो पूरी तरह से मानसिक दिवालिएपन की निशानी है.इसलिये
निजी हो या सरकारी समाचार चैनलों के लिये अब सरकार को कंटेंट कोड बनाना ही पडेगा,जिससे कि हमें वास्तव में समाचार देखने को मिले ना कि 'मेट्रो नाऊ' या इसी तरह के किसी अखबार से उठायी गयी स्टोरी का दृश्यात्मक विवरण देखने को मिले.

कोई टिप्पणी नहीं: