शुक्रवार, 21 मार्च 2008

अनहोनी को होनी सिर्फ कर सकता है धोनी

होनी को अनहोनी कर दे,अनहोनी को होनी जब एक जगह जब जमा हो तीनों सचिन,सौरव और द्रविड.(कुछ जमा नही,कोई बात नही. आगे देखते हैं) जी हाँ,ऐसी ही तस्वीर थी पिछले एक दशक से भारतीय क्रिकेट की.इन तीनों रनबाँकुरों पर ही भारतीय टीम को भरोसा था कि अगर इनमें से कोई एक भी चल गया था तो भारत किसी भी परिस्थितियों में मैच जीत सकता हैं. २००७ के विश्व कप तक तो सबकुछ ठीक चला लेकिन टीम इंडिया के लीग मुकाबलों से बाहर होने के साथ साथ यह तस्वीर कुछ धुँधली नजर आने लगी.

इसी बीच धोनी को वन-डे और ट्वेंटी-२० की कप्तानी मिली,दोनों फॉर्मेट में बडी बडी जीतों ने उपरोक्त गाने को सही रूप दे दिया.होनी को अनहोनी कर दे,अनहोनी को होनी जब एक जगह जब जमा हो तीनों- एक सीनियर,बाकी जुनियर और कप्तान धोनी.

हाल में कप्तान के एक बयान को लेकर सारे मीडिया में हल्ला हैं कि उनके कहने पर ही दो सीनियर्स- सौरव और द्रविड को वन-डे टीम से बाहर रखा गया. पूर्व खिलाडियों ने इस बयान की आलोचना की. साथ ही कुछ घंटे पूर्व शरद पवार साहब को यह कहना पडा कि सचिन के कहने पर ही टीम इंडिया की कमान धोनी को सौंपी गयी थी.
अब ऐसी टिप्प्णी से यह कयास लगाये जा रहे हैं कि कही इसी कारण मास्टर ब्लास्टर टीम में तो नही बने हुये हैं.नही तो फाइनल की दो पारियाँ हमें देखने को नही मिलती.

ऐसी बातों का बाहर खुलकर सामने आने से खिलाडियों के बीच चल रही राजनीति तो सामने आती ही है,साथ ही इन सब चीजों का खिलाडियों के मनोबल पर भी बुरा प्रभाव पडता हैं.ऐसी चीजों से खेल और खिलाडियों को बचना चाहिये.

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