मंगलवार, 25 मार्च 2008

वेतन तो बढा, वे तन की क्षमता को बढायेंगे क्या?

छठे वेतन आयोग की सिफारिशें सब के सामने आ चुकी हैं. कैबिनेट सचिव को तीस हजार के बदले अब नब्बे हजार रूपये वेतन के रूप में मिलेंगे.सबकी आँखे कल से टेलीविजन के बाद आज अखबारों से चिपकी पडी हैं. चालीस से पचास फीसदी की बढोत्तरी बतायी जा रही हैं, लेकिन यहाँ तो सीधे तौर पर देखने पर दो सौ फीसदी की बढोत्तरी देखने को मिल रही हैं. गणना का क्या हिसाब हैं,देश के नीति-निर्माता ही जाने. लेकिन बढोत्तरी को जायज बताया जा रहा हैं.

आज के युवाओं को देश की सरकारी नौकरी की तरफ आकर्षित करने की यह पहल काफी सराहनीय हैं. खासकर सेना में घटती संख्या देश के लिये एक चिंता का विषय थी,इस बार सेना में भी वेतन बढोत्तरी कर इसे भी युवाओं के लिये एक कैरियर ऑप्शन के रूप में देखने के लिये मजबूर करेगा. 'प्रतिभा-पलायन' को भी रोकने के लिये इसे अहम माना जा रहा हैं.प्राइवेट सेक्टर और विदेशों में पैसा के लिये जाने वाले लोग तो अब भी जायेंगे.लेकिन कहीं ना कहीं एक बार फिर से प्राइवेट के ऊपर लोग सरकारी नौकरी को तरजीह जरूर देंगे.

वेतन तो बढा,खूब बढा. लेकिन क्या सरकारी कर्मचारी से क्या हम उस तरह के काम की आशा रख सकते हैं जो कि प्राइवेट सेक्टर के लोग करते हैं. सिर्फ वेतन बढा देने से सरकारी कर्मचारियों की कार्य क्षमता में बढोत्तरी हो जायेगी,ऐसा अभी तो होता हुआ नही प्रतीत होता हैं. इसके लिये सरकार को कडे कायदे कानून लाने पडेंगे तभी जाकर कुछ स्थिति सुधर सकती हैं."हायर और फायर" पॉलिसी के तहत निजी क्षेत्रों में काम को कम समय में और सही तरीके से करने का दवाब बना रहता हैं. ऑउटपुट भी ज्यादा आता हैं. इसे सरकारी क्षेत्र में भी लागू करना होगा तभी जाकर कोई बात बन सकती हैं.

अभी तक जो सरकारी "बडा बाबू" या छोटे से छोटे स्तर का कर्मचारी वेतन कम होने की दुहाई देते हुये चाय-पानी का पैसा लेना अपनी मजबूरी बताता था. क्या वे इस चाय पानी का खर्च अपने वेतन से ही करना पसंद करेंगे के अभी भी वेतन बढने के बाद भी घूसखोरी जैसे परम पावन कर्त्तव्य को जारी रखेंगे.जिसे एक्स्ट्रा आमदनी का नाम देने से नही चूकते हैं.

सरकार ने तो केंद्रीय कर्मचारियों को तो चुनावी साल में होली के अवसर पर काफी बडा तोहफा तो पकडा दिया हैं,लेकिन क्या राज्य सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन इस प्रकार बढा पायेगी? अभी तो संभव नही लगता हैं.ऐसा कोई भी कदम उठने से पहले राज्य सरकारों को कई बार सोचना पडेगा.

वेतन बढा.बहुत अच्छी बात हैं.लेकिन कार्य क्षमता भी बढनी चाहिये."सरकारी" शब्द का प्रयोग भी सही अर्थों में नही होता हैं. कोई ना कोई तलवार लटकानी चाहिये तभी जाकर इन सरकारी कर्मचारियों की कार्यक्षमता में बढोत्तरी होगी.अभी भी वे अपने बढे हुये वेतन के अनुपात में कार्यक्षमता बढा दे तो भारत को २०२० तक सर्वशक्तिसंपन्न देश बनने से कोई नही रोक सकता हैं.अगर नही बढाये तो सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट तब तक आ जायेगी और हम तब भी विकासशील राष्ट्रों की श्रेणी से निकलने की जद्दोजहद करते नजर आयेंगे.

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