मंगलवार, 19 फ़रवरी 2008

खल गया खली का हारना

हिन्दी खबरिया चैनलों के लिये पिछले कई महीनों से हाथ लगा एक मसाला एकाएक इस रविवार को हाथ से फिसल गया. तीन मिनट में डब्लयू.डब्लयू.ई. के रेस्टलिंग मुकाबले में धूल चाटने वाले खली ने देश के सभी प्रमुख चैनलों के प्राइम टाइम के तीन तीन घंटे की बाट लगा दी. खली का हारना इतना खला कि उसकी हार को प्राइम टाइम में तीन मिनट भी नहीं मिले.
टी.आर.पी. के खेल ने जहाँ देश के सभी हिन्दी चैनलों को खली का खेल दिखाने को मजबूर किया, वहीं इसकी हार ने इस खबर पर सोमवार को चैनलों को खेलना का मौका नहीं दिया. शनिवार और रविवार को सभी न्यूज चैनल खली की खबर पर इतना खेले कि उन्हें आगे खेलने का मौका ही नहीं मिला.
हकीकत जैसी खबर वैसी का दावा करने वाले चैनल " जी न्यूज" ने तो शनिवार को प्राइम टाइम में खली के अलावा आधा घंटा संजय दत्त की शादी बचाने को दे दिया नही तो पता ही नही चल रहा था कि हम कोई समाचार चैनल देख रहे हैं. रविवार को भी वही हाल रहा.'जूनियर खली', 'खली बनो बजरंगबली' जैसे कार्यक्रम जारी रहे.लेकिअन हार को अगले दिन तीन मिनट भी नहीं मिले.
आज तक ने भी इसमे कोई कसर नही छोडी. स्टार न्यूज तो कितनी बार खली को ही दिखाकर टी.आर.पी. के खेल में नंबर वन चैनल बना था तो वो भी पीछे नहीं रहा.आज तक ने 'खेल रहा है खली' , 'आई लव यू खली' और 'खली बन जा काली' दिखा अपने प्राइम टाइम के समय का सही उपयोग किया.
अंततः खली का हारना इन चैनलों के लिये सबसे बडी हार साबित हुयी. फिर से उन्हीं खबरों पर लौटना जो कि टी.आर.पी. ला सके की खोज जारी हैं. इंतजार करते रहिये अगले खली या राम का जो कि प्राइम टाइम पर करिश्मा दिखा सके.

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