शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2008

"ओबामा" वर्सेस "ओसामा"

अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव होने में अभी काफी दिन बाकी हैं.डेमोक्रेट के उम्मीदवार के रूप में बराक ओबामा का चयन लगभग तय ही माना जा रहा हैं,ऐसी स्थिति में परिवर्त्तन चाह रहे अमेरिकी इस बार सत्ता में डेमोक्रेटिक़ उम्मीदवार को ही राष्ट्रपति बनायेंगे.अगर सब कुछ सही चलता रहा तो बराक ओबामा का अगला राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा हैं.तो ऐसी स्थिति में अमेरिका पहली महिला राष्ट्रपति के बजाए पहला अश्वेत राष्ट्रपति पा जायेगा.इतिहास तो बनना तय माना जा रहा हैं.
नाम में क्या रखा हैं? ऐसा भले ही शेक्स्पीयर महोदय कह गये हो लेकिन अगर ऊपर वाली स्थिति बनती हैं तो फिर पूरे विश्व में आतंकवाद को बढावा देने वाले और आतंकवाद को समाप्त करने वाले दो प्रमुख शख्स के नामों में सिर्फ एक अक्षर का ही फर्क रह जायेगा और वो भी उल्टा. अक्षर हैं - 'ब' और 'स'. जिस शख्स के नाम में 'ब'हैं,वह उसे समाप्त करने की कोशिश करता नजर आयेगा,जबकि ठीक इसके उल्ट जिसके नाम में 'स' हैं वह तो इसे बढाने का काम कर ही रहा हैं. तब यह जंग और भी रोचक हो जायेगी.
पूरे विश्व के लिये नासूर बनता जा रहा आतंकवाद अब सिर्फ एक देश कि लडाई ही नही बन कर रह गया हैं,इस दिशा में सभी देशों को एक साथ पहल करनी होगी.यह आने वाले दिनों में ओबामा वर्सेस ओसामा की लडाई बन कर नही रह जायें. अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद से लडने के लिये दिये गये धन का उपयोग जिस तरह पाकिस्तान ने भारत से लडने के लिये किया वह सही नही हैं, आज वही पाकिस्तान बारूद के ढेर पर खडा हैं.
विश्व के सभी देश किसी ना किसी रूप में इस नासूर से त्रस्त हैं इस लिये आने वाले समय में समेकित पहल की जरूरत हैं, भले ही इसे नाम देने के लिये "ओबामा" वर्सेस "ओसामा" का नाम दे दिया जायें.

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