शुक्रवार, 4 जनवरी 2008

सबसे पहले हँसा कौन?

स्टार वन के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज पार्ट-तीन'के दौरान कुलदीप दुबे नाम के प्रतिभागी ने इतिहास के किताब में 'लाफ्टर आंदोलन'की बात कही थी,उसी दौरान एक मैडम ने अपने क्लास में छात्रों से पूछा कि हँसी का आविष्कार किसने किया? तो छात्र ने जवाब दिया आविष्कार का तो पता नही लेकिन इसका सबसे ज्यादा उपयोग नवजोत सिंह सिद्धू ने किया .इस बात पर हँसी तो आयी,लेकिन हँसी आयी कहाँ से? सबसे पहले किसने इसका उपयोग किया था? यह प्रश्न मेरे दिमाग में घूमता रहा.
अंततः इस बात का पता चल ही गया कि हँसी का आविष्कार हम मानवों ने नही बल्कि हमारे पूर्वजों यानि लंगूरों की एक प्रजाति ऑरंगउटन ने की. इसका पता अंतर्राष्ट्रीय शोधार्थियों ने चार विभिन्न जगह पर पच्चीस ऑरंगउटन पर किये गये शोध के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला.पोर्टसमाउथ यूनिवर्सिटी की शोधार्थी डॉ. मरियाना डेविला रॉस के अनुसार मानव में फेसियल मिमिक्री करने की क्षमता से पहले यह लंगूरों में आ चुकी थी.
शोध में यह भी पाया गया कि अपने साथी कि नकल करने में यह ऑरंगउटन आधे सेकेंड का वक़्त लेते हैं.जो कि हमारे द्वारा लिये गये समय से भी कम है,तो सोच सकते है कि हँसने के मामले मे भी हम फिसड्डी ही हैं.अगर सिद्धु साहब कि बात कि जाये तो वे भी एक सेकेंड का तो वक्त ले ही लेते हैं.
ये तो रही हँसी की बात.लेकिन आपने कभी सोचा हैं कि हमारे जिंदगी में हँसी नही रहे तो क्या होगा,दवाब के कारण हम अपना कोई भी ठीक तरीके से करने में सक्षम नहीं हो सकेंगे,इसलिये तो हिन्दी के मनोरंजन चैनलों के बाद समाचार चैनलों ने भी हँसी के कार्यक्रमों के लिये स्पेशल बुलेटिन ही बना दिये हैं.वो अलग बात हैं कि समाचार चैनलों पर मनोरंजन चैनलों पर दिखाये जाने वाले ही कार्यक्रमों के फुटेज के बीच एंकर की उपस्थिति दर्ज कराकर इसे अपना बुलेटिन बना लिया जाता हैं.हँसी का ओवरडोज होने के कारण अब यह भी प्रयोग भी अब बोरिंग लगने लगा हैं.कुछ नयापन हो तो कोई बात भी,लेकिन समाचार चैनलों ने तो कुछ नया ना करने की कसम खा रखी हैं.

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