शनिवार, 26 जनवरी 2008

शेर ही टिकते हैं शेयर बाजार में

नये साल में मुंबई शेयर बाजार के सूचकांक ने जिस तरह से २१ हजार की ऊँचाई को छुआ,उसी तरह इस सोमवार और मंगलवार को भारी गिरावट दिखा छोटे निवेशकों का दो दिनों में दस लाख करोड का नुकसान करा दिया. वैसे भी यह बात समझ नही आती हैं कि छोटा निवेशक जब इस लालच में बाजार में पैसा लगाने जाता हैं कि उसका पैसा चंद दिनों में दुगुना हो जायेगा.तो उसे इस बात की समझ नही रहती हैं कि यह आधा भी हो सकता हैं.शेयर बाजार कोई जादुई जगह नही हैं जहाँ पैसा रातों रात जेनेरेट होता हैं और सुबह जब बाजार खुलता है तो ये निवेशक उसे लेकर चलते बनेपैसा तो उतना ही रहता हैं, यह सिर्फ एक हाथ से दूसरे हाथ में चला जाता हैं.इसमें पहला वाला हाथ भी आपका हो सकता है और दूसरा वाला भी.
आजकल हर कोई नया व्यक्ति लाल-पीले अखबार और बिजनेस चैनलों को देखकर कुछ दिन में ही अपने को शेयर बाजार का एक्सपर्ट समझने लगता हैं.साथ ही साथ लोगों के मुँह से यह सुनकर कि फलाँ का पैसा दो दिन में दुगुना हो गया यह सुनकर बाज़ार में पैसा लगाने चला आता हैं.शेयर बाजार नें शुरूआती दिन में जहाँ गिरा वहीं सप्ताह कें अंत में ह्ज़ार अंक ऊपर भी तो गया.यहाँ बाज़ार गिरता देख काफी छोटे निवेशक तो अपना पैसा निकाल चुके होंगे.बस यही पर वे मात खा जाते हैं.बाजार गिरता देख बडे बडे खिलाडी पैसा लगाकर पैसा बनाने का काम करते हैं.यही छोटे और नये निवेशक धीरज नही रख पाते है और हडबडी में निवेश किये पैसे को गँवा बैठते हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स सही होने की दुहाई प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री देते रहे,लेकिन लोगों को सिर्फ अपने पैसे दुगुने होने से मतलब रहता हैं. निवेशक वह है जो पैसा लगाये और भूल जाये.कम से कम एक तिमाही का समय तो दे,यहाँ तो पैसा लगाया और नियम से प्रतिदिन उस शेयर का दाम देखने चला जाता है.जो कि सही नही हैं.इन्हें स्पेकटेटर कहा जाता हैं जो कि देखे और लपक पडे.नुकसान भी इन्हें ही उठाना पडता हैं.अतः इस बाजार में बडे से बडे खिलाडी भी धोखा खा जाते हैं.नये निवेशकों की बिसात ही क्या हैं? इसलिये इस बाजार से दूर ही रहना ज्यादा सही हैं.जो इस क्षेत्र में माहिर हैं वही इसे ब्लीड होता हुआ देख सकते हैं और साथ ही इस घाव को भरता भी देखते हैं.यहाँ तो शेर ही खून बहाता है और उसका मजा भी उठाता हैं.

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