बुधवार, 23 जनवरी 2008

टी.आर.पी. काल में रामायण

एनडीटीवी इमैजिन चैनल के लांच के साथ ही एक बार फिर से भारतीय दर्शकों को फिर से "रामायण" सीरियल देखने का मौका मिला. एक नये कलेवर और नये स्टारकास्ट के साथ रामायण का पहला एपिसोड देखने के वक्त आज से बीस साल पहले रामानंद सागर द्वारा बनाये गये रामायण की याद आना स्वाभाविक है और साथ ही तुलना करना भी. उस वक्त सिर्फ दूरदर्शन चैनल था और रविवार की सुबह सभी काम को छोड सपरिवार रामायण सीरियल देखने का एक अलग ही आनंद था.
पिछले एक महीने में जेनेरल इंटरटेनमेंट चैनल कैटेगरी में जी समूह का 'जी नेक्स्ट',आई.एन.एक्स ग्रुप का 'नाइन एक्स' और अब एनडीटीवी का 'इमैजिन' चैनल लांच हुआ हैं, इन तीनों चैनलों में मुख्य रूप से वही प्रोग्राम आयेंगे, जो कि आज कल दर्शकों की पसंद के माने जाते हैं जैसे फैमिली ड्रामा, रियलिटी शो आदि. लेकिन यही इमैजिन चैनल के सीईओ समीर नायर ने एक बार फिर से भारतीय दर्शकों के सामने एक बार फिर से पौराणिक कथा को पेश कर अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया हैं.यह एक कार्यक्रम ही इन तीन चैनलों में इमैजिन को अलग पहचान दिलवा रहा हैं.
आजतक भारतीय चैनल पर अगर सबसे ज्यादा टी.आर.पी. अगर किसी सीरियल ने बटोरी है तो वह रामायण सीरियल ही है.इसी बात का ध्यान रखते हुये एकबार फिर से रामायण सीरियल को पर्दे पर लाने की जिम्मेदारी सागर आर्टस को ही मिली.अभी भी सागर आर्टस सब से ज्यादा देखे जाने वाले चैनल दूरदर्शन के लिये ही कार्यक्रम बनाने के लिये इच्छुक था,लेकिन समीर नायर के रामायण बनाने के प्रस्ताव को टाल नही सका और जिसकी परिणिति महानगरों के दर्शकों के लिये एक नये रामायण के साथ आयी. इस बार की रामायण में पिछले बार के रामायण से कुछ खास अंतर तो देखने को नही मिलेगा, लेकिनइस बार की रामायण में पिछले बार के रामायण की कहानी से कुछ खास अंतर तो देखने को नही मिलेगा, लेकिन नयी तकनीक के उपयोग से इसे और भी भव्य बनाया गया हैं.
पिछले रामायण की एक दो चीजें खोजने का प्रयास हमने किया तो वो नही मिली.एक तो कलाकारों के असली नाम जो कि बचपन में हम बच्चें याद करना या यूँ कहे कि एपिसोड के अंत में आने वाले कलाकारों का नाम बताने की होड लगी रहती थी और दूसरा स्वाभिकता. कलाकारों के अभिनय में आनंद सागर ने रामानंद सागर वाला काम नही निकलवाया.वैसे इस बार राम का किरदार गुरमीत चौधरी और सीता का किरदार देबिना बनर्जी ने निभाया है.
आज के दिन फिल्म जगत में जहाँ रीमेक बनाने की होड चल रही हैं वही टीवी में भी अपने जमाने के सबसे लोकप्रिय धारावाहिक को फिर से प्रस्तुत करना अनोखी पहल हैं.ऐसा नही है कि धार्मिक सीरियलों का जमाना लद गया हैं, अभी भी अगर सही तरीके से बनाया जाये तो इसे देखने वालों की संख्या बधेगी ही. सिर्फ स्पेशल एफेक्टस के जरिये सफलता की कामना करना बेवकूफी हैं.
भारतीय संस्कृति की यह कहानी जीवन में ऊँचे नैतिक मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने की सीख देती है, क्या यह आज परिवार को तोडने वाले सीरियलों पर भारी पडेगा? यह आने वाले समय में टी.आर.पी से ही पता चल पाएगा.

कोई टिप्पणी नहीं: