गुरुवार, 15 नवंबर 2007

स्वास्तिक या क्रॉस : दोनो तो ही हैं धर्म के निशान

भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की डॉक्टरी पेशे की इकाई आरोग्य भारती ने जब से अपने सदस्यों को 'रेड क्रॉस' की जगह 'स्वास्तिक' का निशान उपयोग करने को कहा है,तब से यह मुद्दा मीडिया में एक बहस का मुद्दा बन गया है.सबसे पहले 'रेड क्रॉस'ने अपने निशान के उपयोग पर पाबंदी लगा दी थी,तब से इंडियन मेडिकल एशोसिएशन ने एक नये निशान को स्वीकृत किया था,जो कि आम जन को समझ में नही आ सका,इसलिये उसका कम से कम उपयोग हो रहा हैं,ऐसे मे एक ऐसे निशान की खोज की जा रही थी जो की पिछले निशान से मिलता-जुलता हो और जिसे लोग आसानी से पहचान लें.
भोपाल में इस निशान का उपयोग वहाँ के डॉक्टरों ने करना शुरू कर दिया हैं. इस रविवार से नागपुर में भी एक बडे पैमाने पर नेशनल मेडिकल ऑरगनाइजेशन,विश्व आयुर्वेद परिषद, आयुर्वेद व्यास पीठ और होम्यो समाज नाम की संस्थायें भी अपने डॉक्टरों के बीच 'स्वास्तिक' के स्टिकर बाँट रही हैं.
इसका समर्थन करने वालों का तर्क यह है कि स्वस्तिक भारतीय संस्कृति से जुडा है और हम रेड क्रॉस के खिलाफ नही है. साथ ही यह भी तर्क दे रहे है कि हमने हिटलर के नाजी पार्टी के निशान से यह नही मिले ,इसलिये इसमे चार बिंदुओं का भी उपयोग कर रहे है. वैसे भी वैज्ञानिक तौर पर स्वास्तिक के निशान से सर्वाधिक ऊर्जा निकलती है.
इस नये निशान को लेकर सभी सहमत है ऐसा भी नही है. सबसे पहले इसे हिन्दू धर्म का निशान मानकर खारिज कर रहे है.रेड क्रॉस, जो इतने दिनों से डॉक्टरी पेशे का निशान बनी हुई है,के हटने से डॉक्टर अपनी पहचान खो देंगे-ऐसे तर्क दे रहे है.भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसे ही किसी निशान को एक ऐसे पेशे से जोर दिया जाये जिससे मानवता जुडी है.
सबसे पहली बात तो यह कि भारत में विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग रहते है जिस कारण इसे लागू करना इतना आसान नही होगा. अगर कुछ लोग अपनी सुविधा के लिये किसी निशान को उपयोग में ला रहे है तो इस पर किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए. "रेड क्रॉस संस्था" ने जब अपने निशान के उपयोग के सर्वत्र उपयोग के विरोध में कोर्ट में भी गयी है,तो ऐसी स्थिति में इंडियन मेडिकल एसोशिएशन को चाहिये की वह एक ऐसा निशान लाये जो पूरे भारत में मान्य हो और आसानी से भी पहचान में आये.जहाँ तक इस रेड क्रॉस के उपयोग का सवाल है मुस्लिम राष्ट्रों में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता हैं, वे अर्द्धचन्द्र निशान का उपयोग करते हैं.
इस मुद्दे को इतना बडा मुद्दा नही बनाना चाहिये,जो निशान ज्यादा से ज्यादा लोगों के समझ में आता हैं,उसे उपयोग में लाना चाहिये.

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