बुधवार, 21 नवंबर 2007

अंधविश्वास फैलाता बुद्धू बक्सा

प्रेत,अन्धविश्वास,चमत्कार,ज्योतिष आदि पर दिखाये जाने वाले कार्यक्रमों का आज के युवा पीढी पर काफी खराब असर पर रहा है.समाचार चैनलों पर इन कार्यक्रमों का प्रसारण आधे घंटे से लेकर एक घंटे के बुलेटिन के रूप में होता हैं.इन कार्यक्रमों के प्रसारण के पीछे चैनल का मुख्य उद्देश्य अपने टाइम-स्लॉट को भरना होता है और साथ ही साथ ज्यादा से ज्यादा टी.आर.पी. भी हासिल करना होता है.धर्म के नाम पर लोगों को तरह तरह के समाचार दिखा कर जैसे-हनुमानजी के आँख से आँसू निकलना,मूर्तियों द्वारा दूध पीना आम जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा हैं.समाचारों में कमी तो नही आ गयी है,जो इस तरीके के समाचार बनाये जा रहे हैं.
भूत-प्रेत पर जी न्यूज द्वारा शुरू किये गये कार्यक्रम 'काल कपाल महाकाल' को खासी लोकप्रियता मिलने का दावा चैनल ने किया.इसका प्रसारण रात में किया जाता था,चैनल द्वारा इस कार्यक्रम के जरिए पाखंड व अवैज्ञानिक बातों को फैलाया जा रहा था.अघोरी,तंत्र-मंत्र की बातों को सही ठहराया जा रहा था.आज के दिन टेलीविजन सूचना का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा हैं,निरक्षर लोगों पर इसका ज्यादा गहरा असर पडता हैं.ऐसे में साक्षरों के साथ साथ निरक्षर जनता पर भी ऐसे कार्यक्रमों का सीधा असर पडता हैं.वे भी इन बातों में विश्वास करने लगते हैं.बच्चों और किशोरों के मन-मस्तिष्क पर ऐसे कार्यक्रमों का बुरा प्रभाव पडता है.
ज्योतिष कार्यक्रमों के दौरान जनता से अपने भविष्य के बारे में जानने के लिये फोन करने को कहा जाता है.दर्शक भी ऐसे कार्यक्रमों में बैठे ज्योतिष से सवाल पूछने में कोई हिचक नहीं दिखाते हैं.इनकी बातों पर यकीन कर तरह तरह के टोटके,अँगूठी,रत्न आदि धारण करने लगते है.एक अंधविश्वास का माहौल बनने लगता है.इन ज्योतिषों की बात पर विश्वास कर युवा अपने ध्येय से भटक जाते हैं.उनके लिये ज्योतिषों की कही बात लकीर हो जाती हैं,जिसे मानना वे जरूरी समझने लगते हैं.
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