शनिवार, 17 नवंबर 2007

कालिंदी इतनी काली क्यों?

छठ पर्व के अवसर पर आज सुबह यमुना नदी के किनारे भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का मौका मिला. नदी किनारे श्रधालुछओं की भीड देखकर लगा ही नही कि यह पर्व बिहार के बाहर भी इतने उल्लास व भक्ति के साथ मनाया जाता है.सभी सुबह में आदित्य की उगने की प्रतीक्षा कर रहे थे ,ज्योंहि पूर्व के आसमान पर हल्की लालिमा के बीच भगवान भास्कर उदित हुए,वैसे ही यमुना में उतर कर अर्घ्य दिया. यमुना का पानी देख एकबार तो पानी में उतरने का मन नही हुआ.
यमुना नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिये सरकार ने १९९३ से यमुना एक्शन प्लान चलाया था,लेकिन अभी तक १८०० करोड रूपये खर्च करने के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों है.सरकार को इस दिशा में विदेशी सहायता भी मिली,लेकिन ठीक रूप से कार्यान्वयन नही होने के कारण इतने पैसे यमुना के नाम पर अधिकारियों और अन्य लोगों की जेबों में चले गये.
लंदन में भी टेम्स नदी की स्थिति यमुना नदी के ही माफिक हो गयी थी,लेकिन एक उचित कार्य योजना के तहत उसे पूरी तरिके से प्रदूषण मुक्त कर लिया गया. २०१० में दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों को भी देखते हुए इसे जल्द से जल्द प्रदूषण मुक्त करने के उपाय करने चाहिये.

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