शुक्रवार, 23 नवंबर 2007

एड्स रोगियों में कमी अखबार की नजर में

संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एड्स रोगियों की संख्या के संबंध में जो नये ऑकडे जारी किये है,उसके अनुसार पुरे विश्व में एड्स रोगियों की संख्या में २००६ के मुकाबले २००७ में ६३ लाख की कमी आयी है.इस खबर को दो अंग्रेजी दैनिकों 'द इंडियन एक्सप्रेस' और 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने अपने मुखपृष्ठ पर संक्षेप में स्थान दिया है और अंदर के पृष्ठों पर विस्तार से इस खबर को दिया है.वही 'द हिन्दू' ने भीतर के पृष्ठ पर शीर्षक और उप-शीर्षक के साथ इस खबर को प्रकाशित किया है.
'द इंडियन एक्सप्रेस' ने इसे लीड बनाते हुए शीर्षक दिया है कि भारत द्वारा प्रस्तुत किए गये संशोधित ऑकडे से विश्व के एड्स रोगियों की संख्या में कमी.२००७ में भारत ने एड्स रोगियों की संख्या जुटाने के लिये नयी प्रणाली अपनायी जिसके कारण इस बार प्रमाणिक ऑकडे सामने आये.इस नयी विधि में 'निरीक्षण ऑकडे' और जनसंख्या आधारित सर्वेक्षण दोनों शामिल हैं. इस विधि को आधार मानकर जब संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एड्स संबंधी नये ऑकडे पेश किये तो यह संख्या चार करोड से घटकर तीन करोड तीस लाख ही रह गयी.अखबार ने छह कॉलम की खबर देते हुए ग्राफिक्स के जरिए देश के उन पाँच राज्यों की भी सूची दी है जहाँ सर्वाधिक एड्स रोगी हैं,इसमें मणिपुर,नागालैंड और आँध्र प्रदेश क्रमशः पहले,दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं.
वही 'द हिन्दू' ने पाँच कॉलम में खबर देते हुए ऑकडों पर ज्यादा जोर दिया हैं. अफ्रीका के सहारा क्षेत्र में २००७ में सत्रह लाख नये एड्स रोगी चिह्नित किए गये है.२००७ के नये ऑकडे में भारत में एड्स रोगियों की कुल संख्या पच्चीस लाख बतायी गयी है,वही विश्व स्तर पर यह संख्या तीन करोस बत्तीस लाख है.एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक दिन ६८०० नये लोग एड्स से ग्रसित होते हैं.पिछले दो साल मे एड्स से मरने वाले रोगियों की संख्या में कमी आयी है.
'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने भारत में हुये इस नयी प्रविधि के तरीकों पर जोर देते हुये २९ राज्यों में डेढ लाख लोगों के रक्त परीक्षण से इस नये ऑकडे के और अधिक सटीक होने की बात कही.संयुक्त राष्ट्र के एड्स कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर पीटर प्योट की बात को छापा कि सुधार के बाद एचआईवी पीड़ितों के जो आँकड़े मिले हैं उससे इस महामारी की साफ़ तस्वीर हमारे सामने आई है. चार कॉलम में छपी खबर में भारत मे एड्स उन्मूलन की दिशा में कार्यरत नाको संगठन की निदेशक के.सुजाता राव के कथन और भारत में संयुक्त राष्ट्र के एड्स कार्यक्रम के प्रमुख डेनिस ब्रोउन के कथनों को प्रमुखता दी.

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