शनिवार, 24 नवंबर 2007

क्या सुरक्षित है आम भारतीय?

उत्तर प्रदेश में हुये एक के बाद एक बम धमाकों से हमारे सामने यह प्रश्न खडा हो गया हैं कि क्या देश में ऐसा कोई भी इलाका है जहाँ हम भारतीय सुरक्षित हैं. महानगरों के बाद अब छोटे-छोटे शहरों को निशाना बनाया जा रहा हैं.इस बार हुये बम धमाकों की जिम्मेदारी एक ऐसे संगठन ने ली हैं,जिसके विषय में पहले कभी नही सुना गया.इस संगठन की हिम्मत देखिये एक टेलीविजन चैनल के कार्यालय में ई-मेल कर यह सूचना देता है कि अब से पांच मिनट बाद बम धमाके होंगे.हुआ भी ऐसा ही.सिलसिलेवार बम धमाके से पूरा उत्तर प्रदेश दहल गया.
बम धमाकों के बाद आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया.खुफिया-तंत्र का फेल होना बताया गया.क्या ऐसा करने से देश में हो रहे बम-धमाके होने बंद हो जायेंगे? क्या ऐसे ही कोई संगठन कल फिर से एक ही दिन में अस्तित्व में आकर तबाही का मंज़र पैदा करता रहेगा? क्या मुआवजे की राशि ही बाँट कर सरकार अपने उत्तरदायित्व से मुक्त हो जायेगी?
आज फिर से उसी समाचार चैनल के दफ्तर में एक और ई-मेल भेजा जाता है और उसमें किसी खेल के कार्यक्रम की भाँति बम धमाके करने का विस्तृत कार्यक्रम भेजा जाता हैं.पाकिस्तानी टीम को लौटने की सलाह दी जाती है.कल भेजे गये ई-मेल का स्रोत तो मालूम कर लिया गया है और ई-मेल भेजने वाले को पकड भी लिया जायेगा,लेकिन सोचने वाली बात यह हैं कि आतंकवादियों की यह हिम्मत कि वे इस तरह हमारी व्यवस्था का मजाक उडाये.
खुफिया-तंत्र की विफलता के अलावा पुलिस-तंत्र की भी यह विफलता हैं.लखनऊ में धमाके के होने के बाद काफी देर से पुलिस पहुँची और उसके बाद भी स्थिति को सँभालने में विफल रही,तब जाकर वकीलों का गुस्सा भी पुलिस पर फुटा.
एक के बाद एक हो रहे बम धमाकों के बाद भी केंद्र सरकार सचेत नही हो रही हैं. आम जनता की जान की कोई कीमत नहीं नजर आ रही है.वी.आइ.पी. सुरक्षा के पीछे करोडों रूपये बर्बाद किये जा रहे है,लेकिन आम जनता को उसके हाल पर छोडा जा रहा हैं.कहीं भी भीडभाड वाले जगह पर निकलने में भी लोगों को एक अनजाना भय बना रहता हैं.क्या एक आम आदमी की जान की कोई कीमत नही हैं?
पुरा विश्व आतंकवाद की समस्या से जूझ रहा हैं.हालिया मिले ई-मेल से भी यह पता चलता है कि भारत में मुस्लमानों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा हैं,उसी का परिणाम हैं यह बम धमाके.इस्लामी जिहाद का नाम दिया जा रहा हैं.कुछ चंद मुठ्ठी भर लोग यह क्यों नही समझते कि सिर्फ हथियार के बल पर आज के युग में अपनी सत्ता कायम नही की जा सकती है.
हर हमले के बाद उस स्थल की सुरक्षा बढा दी जाती है.कुछ दिनों बाद जन-जीवन सामान्य भी हो जाता है,लेकिन वहाँ के उन लोगों की जेहन में एक घाव छोड जाती है हमेशा के लिये,जो इस घटना में अपने को खोते हैं.सुरक्षा व खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत हैं ताकि इस तरह की घटनाओं को होने से रोका जा सके और आम जन भी निर्भय हो कर कहीं आ जा सके.

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